महाशिवरात्रि पर उपवास का महत्व: जानिए इससे जोड़े कुछ रहस्य 

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है इस दिन को हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है महाशिवरात्रि का अर्थ है “शिव की महारात्रि ” हिंदू शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि को व्रत करना और शिवलिंग पर जल अभिषेक करना अच्छा माना जाता है इस दिन भक्त शिव के मंदिरों में जाकर भजन, कीर्तन और आरती करते हैं। रात भर तक जागरण करना भी इस दिन की प्रमुख क्रियाओं में से एक है, जिसे “शिवरात्रि जागरण” कहते हैं।

    “महाशिवरात्रि पर उपवास करने के कुछ मुख्य कारण”

    1. आत्मा की शुद्धि:-

    उपवास रख कर व्यक्ति अपने मन, वचन और कर्म को पवित्र रखने का प्रयास करता है। ये आत्मा की शुद्ध और पवित्रता को बढ़ाता है।

    1. शिव भक्ति में समर्पण:-

     उपवास रखने से व्यक्ति अपने मन को शिव भगवान की और समर्पित कर्ता है और उनके प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को प्रकट करता है।

    1. इंद्रियों पर नियन्त्रण:-

     उपवास के दौरान अन्न-त्याग करके व्यक्ति अपने इन्द्रियों पर नियन्त्रण रखता है और उन्हें शिव भक्ति में स्थिरता प्रदान करता है।

    1. परमेश्वर की कृपा:-

     महाशिवरात्रि पर उपवास रखने से भगवान की कृपा और आशीर्वाद मिलता है। ये उसके मन, वचन, और क्रियाओं को शुद्ध बनाकर उन्हें ईश्वर की ओर ले जाता है।

    1. धार्मिक अनुभव:-

     उपवास के माध्यम से व्यक्ति अपने अंतरराष्ट्रीय अनुभव को विकसित करता है और आध्यात्मिक या अग्रसार होता है।

    महाशिवरात्रि में महामृत्युंजय मंत्र की महत्वपूर्णता 

    महा शिवरात्रि पर  महा मृत्युंजय मंत्र को जाप महत्वपूर्ण माना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है। माना जाता है कि महा मृत्युंजय मंत्र में मृत्यु पर विजय पाने और भक्त को स्वास्थ्य, लम्बी आयु प्रदान और प्रत्येक लाभ प्रदान करने की क्षमता है।

    मंत्र कुछ इस प्रकार है:

    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

    उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

    (ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्

    उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर् मुक्षीय मामृतात्)

    इस मंत्र का जाप अक्सर भक्तों की प्रार्थना और ध्यान के हिस्से के रूप में महा शिवरात्रि के दौरान किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे बीमारियों, दुर्घटनाओं और असमान्य मृत्यु से सुरक्षा के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कई भक्त आध्यात्मिक उत्थान और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति की तलाश में, महा शिवरात्रि के दौरान इस मंत्र का जाप करते हैं।

    महाशिवरात्रि के लिए पवित्र स्थान बनाने का तरीका कुछ इस प्रकार है:

    1. स्थान का चुनाव:-

     पूजा के लिए एक शांत और पवित्र स्थान को चुनें। ये स्थान मंदिर, पूजा कक्ष, ये कोई शांत जगह हो सकती है।

    1. सफाई और सजावत:-

     स्थान को अच्छे से साफ और नियम के अनुसार करें। मंदिर को फूल या दिये से सजाये। मंदिर या पूजा कक्ष को सुंदर और शुद्ध बनाएँ।

    1. प्रतिमा या शिवलिंग की स्थापना:-

     अगर आपके पास प्रतिमा या शिवलिंग है, तो पवित्र स्थान पर स्थापित करें। प्रतिमा या शिवलिंग को जल, दूध, दही, घी, मधु, और जल से स्नान कराएं। उसके बाद, फूल, पुष्प, बेल पत्र, और धूप-दीप से पूजा करें।

    1. आसन और आसन:-

     पूजा के लिए आसन तैयार करें जहां आप शांत मन से बैठ सकें और ध्यान कर सकें। ये आसन पवित्र होना चाहिए और स्थान के अनुकूल होना चाहिए।

    1. प्रसाद और भोग:-

     भगवान शिव को प्रसाद और भोग अर्पित करें। ये भोग फल, मिश्री, दही, मिठाई, और कोई भी शुद्ध भोजन हो सकता है। इसे पहले की पूजा शुरू करें, भोग तैयार करें।

    1. दीपक और धूप:-

     पूजा के दौरन दीपक और धूप जलाएं। ये पवित्रता को और भी बढ़ाता है और स्थान को भी प्रकाशित करता है।

    1. मंत्र जाप और भजन:-

     पूजा के दौरान मंत्र जाप और भजन गाय करें। भगवान शिव को प्रेम और श्रद्धा के साथ याद करें।

    1. सत्संग:-

     अगर हो सके, पूजा में परिवार और मित्रों के साथ सत्संग करें। साथ में भजन, कीर्तन और कथा सुनना भी पवित्रता को और भी अधिक बढ़ा देता है।

    ये वैसे तो कुछ सरल उपाय हैं महाशिवरात्रि के लिए पवित्र स्थान बनाने के लिए। सामान्य रूप से, पवित्र भाव से पूजा करना और भगवान शिव की आराधना में श्रद्धा और प्रेम से समर्पित होना हैं।

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