Holi 2024: नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका इन नए लेख में। आज हम जानेंगे की आखिर क्यों होली को रंगों के साथ मनाया जाता है और कैसे होली पर रंग प्रचलन में आये ?
दोस्तों यह तो हम सभी जानते है की होली त्यौहार का सीधा मतलब रंग और गुलाल के साथ मस्ती करना है। इसीलिए होली आने से ही पहले लोग रंगो से मस्ती में लग जाते हैं, होली वाले दिन रंगो के साथ खेलते समय कोई भी यह ध्यान नहीं देता की कौन अपना है कौन पराया, सभी लोग होली वाले दिन रंगो में रंग जाते हैं और एक दूसरे को रंग लगाकर खूब मस्ती करते हैं।
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Holi 2024 : आखिर रंगों से ही क्यों मनाई जाती है होली ?
लेकिन सोचने वाली बात यह है की आखिर होली पर रंग लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? क्यों हम होली पर रंगो के साथ खेलते हैं ?
होली पर रंगो से खेलने के मुख्यतः दो धार्मिक कारण हैं
पहला कारण
होली के बारे में सबसे प्रचलित कहानी कहानी है विष्णु भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की बहन होलिका की, होलिका के पास ब्रह्मा जी से मिला एक वस्त्र था जिसे ओढ़कर अगर वह आग में भी बैठ जाये तो आग भी उसको जला नहीं पायेगी.
हिरण्यकश्यप ने इस वरदान का लाभ उठाने के लिए अपनी बहन होलिका को कहा की वह प्रह्लाद को गोद में बैठ कर आग में बैठ जाये जिससे प्रह्लाद की मृत्यु हो जाये, लेकिन जब होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी तो होलिका का वह वस्त्र हवा से उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गया जिसके फल स्वरुप होलिका वहीँ जल गयी और प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ।
अगले दिन जब लोगों को होलिका के मरने की सूचना मिली तो गाँव के लोगों ने उत्सव मनाया तथा रंगो और गुलाल के साथ अपनी ख़ुशी जाहिर की तभी से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा जिसमे रंगो तथा गुलाल का इस्तेमाल किया जाता है।
दूसरा कारण – Holi 2024
रंगो और गुलाल के साथ खेलने की परंपरा राधा कृष्ण के प्रेम के साथ भी जुडी हुई है, कहते हैं बचपन में श्री कृष्ण अपनी माता से अपने सांवले तथा राधा के गोरे होने की शिकायत करते थे, श्री कृष्ण अपनी माता यशोदा से कहते थे की राधा बहुत सुन्दर है और गोरी है तो फिर मैं इतना सांवला क्यूँ हूँ?
माता यशोदा श्री कृष्ण की बात पर बहुत हस्ती थी और उन्होंने बाद में श्री कृष्ण को यह सुझाव दिया की वह राधा को जिस रंग में देखना चाहते हैं उस रंग को राधा के मुख पर लगा दें।
श्री कृष्ण को माता का यह सुझाव अच्छा लगा क्यूंकि वैसे ही श्री कृष्ण बचपन में काफी चंचल और शरारती स्वाभाव के थे, इसीलिए वह राधा को तरह तरह के रंगों से रंगने के लिए चल दिए, और श्री कृष्ण ने अपने मित्रों के साथ मिल कर राधा तथा सभी गोपियाँ को रंग लगाया.
जब श्री कृष्ण राधा तथा गोपियों को तरह तरह के रंगो से रंग रहे थे तब उनकी यह प्यारी शरारत सभी ब्रिज वासियों को बहुत पसंद आयी, माना जाता है तभी से होली पर रंगों से खेलने की यह परम्परा शुरू हुई जो आज भी निभाई जा रही है।
तो आशा है Holi 2024 का यह लेख आपको अच्छा लगा होगा और रंगों से होली खेलने का कारण भी पता चल गया होगा, तो अपने प्रियजनों के साथ अच्छे से और सुरक्षित होली खेलें और किसी बेजुबान जानवर को अपने मजे के लिए परेशान न करें।
Disclaimer: Holi 2024 के इस लेख में दी गई सभी जानकारी अलग अलग जगह से एकत्रित की गयी है, हम पूरी तरह से इस जानकारी का सच या सही होने का दावा नहीं करते हैं।
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