महाशिवरात्रिः शिवलिंग के पिछले रहस्य को समझना” 

शिवरात्रि भगवान शिव के सम्मान में हर साल मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। पर आज हम जानेगे शिवलिंग के पीछे का रहस्य और 12 ज्योतिर्लिंग के नाम वह कहाँ स्थित हैं और उसे जुडी कुछ पुरानी कहानियो के बारे में भी जानेगे। 

शिवलिंग के पीछे रहस्य

पुरानी कहानी के अनुसार जब इस दुनिया में किसी भी चीज की उतपत्ति नहीं हुई थी तब इस दुनिया में कुछ भी नहीं था और तब भगवान विष्णु जी आये और उनकी नाभि से भगवान ब्रह्माजी आये|

 उसके बाद दोनों के बिच में महा युद्ध हो गया की उन दोनों में से कौन सबसे पहले आया था यह युद्ध बहुत साल चला उसके बाद अचानक से एख आकाशवाणी हुई और कहा की जो भी इस शिवलिंग का अंत खोजेगा वह सबसे बुद्धिमान होगा इस आकाशवाणी के बाद दोनों भगवान शिवलिंग का अंत खोजने लगे लेकिन किसी को भी शिवलिंग का अंत नहीं मिलता है जिसके बाद विष्णु जी हार मान जाते है और ब्रह्माजी को कहते है की मैं शिवलिंग का अंत नहीं खोज पाया लेकिन ब्रह्माजी जूथ कहते है की उन्होंने शिवलिंग का अंत खोज लिया है जिसके बाद भगवान शिव जी उस शिवलिंग से प्रकट होते है और ब्रह्माजी झूठ बोलने के लिए उन्हें श्राप देते हैं की आप की कभी भी पूजा नहीं होगी और विष्णु जी को इस दुनिया को सम्हालने का आशर्वाद देते है। 

ऐसे हुआ था सबसे पहले शिवलिंग की उत्पति। अब जानते है भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में और कहाँ कहाँ स्थित है ये ज्योतिर्लिंग। 

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग

    • सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

    सोमनाथ ज्योतिर्लिंग इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में हैं। शिवपुराण के अनुसार जब चंद्र देव  को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर भगवान शिव की पूजा कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी।

    • मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

    श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है. इस ज्योर्तिलिंग को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है।

    • महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

    महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंगमध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग. ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है जहां रोजाना होने वाली भस्म आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है।.

    • ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

    ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस स्थान पर नर्मदा नदी भी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है। यह ज्योतिर्लिंग का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।

    • केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

    केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों मे से एक  है। यह उत्तराखंड में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में आता है। यह स्थान भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व शिव जी ने केदारनाथ को भी दिया है।

    • भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

    भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।

    • काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

    विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है। इस स्थान की मान्यता है, कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुनः बना देते हैं।

    • त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

    त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे सबसे पास ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।

    • वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

    वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंगों की गिणति में नौवां स्थान बताया गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर वैद्यनाथ धाम में स्थित है। यह स्थान झारखण्ड देश के एक भाग, पूर्व में बिहार प्रदेश के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में पड़ता है।

    • नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

    नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका में स्थित है। धर्म शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता कहलाते है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। द्वारका से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा जाता है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शन के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

    • रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग

    रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ ही यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में यह मान्यता है, कि इसकी स्थापना भगवान श्रीराम ने की थी। इसी कारण इस ज्योतिर्लिंग को रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता हैं।

    • घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग

    घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। यहाँ  दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के पास स्थित हैं। यहीं पर श्री एकनाथजी गुरु व श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है।

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